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अंधराष्ट्रवाद और मीडिया का गठजोड़ लोकतंत्र के लिए खतरा

-नागरिक’ द्वारा आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने कहा — सत्ता और मीडिया के फासीवादी गठजोड़ से समाज में नफरत और विभाजन बढ़ा


लखनऊ- करण सिंह सभागार में रविवार को नागरिक अधिकारों को समर्पित पाक्षिक अखबार ‘नागरिक’ द्वारा “अंधराष्ट्रवाद और मीडिया” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, जन संगठनों और प्रगतिशील बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन ‘नागरिक’ के संपादक रोहित ने किया। उन्होंने कहा कि यह सेमिनार पूर्व संपादक कॉमरेड नगेंद्र की स्मृति में आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भर में पूंजीवादी संकट के चलते अंधराष्ट्रवाद की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। भारत में यह प्रवृत्ति अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर मुस्लिम समाज के खिलाफ नफरत और विभाजन का ज़हर फैलाने का माध्यम बन चुकी है।

रोहित ने कहा कि “राष्ट्रवाद के नाम पर आज फासीवादी ताकतें समाज में वैमनस्य फैलाकर अपने राजनीतिक मंसूबे पूरे कर रही हैं, जबकि मीडिया इन ताकतों के पक्ष में माहौल तैयार कर रहा है।” उन्होंने कहा कि पुलवामा जैसे घटनाक्रमों पर सवाल उठाने वालों को देशद्रोही बताया गया, जबकि सरकार जवाब देने से बचती रही।

सेमिनार में वक्ताओं ने कहा कि भारत के शासकों ने राष्ट्रवाद को धर्म से जोड़कर पाकिस्तान, कश्मीर और मुसलमानों को दुश्मन के रूप में पेश किया, ताकि जनता का ध्यान बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी जैसी असली समस्याओं से भटकाया जा सके। उन्होंने कहा कि आज मीडिया लोकतंत्र का प्रहरी न रहकर पूंजीपतियों की गोद में बैठा “गोदी मीडिया” बन चुका है, जो फासीवादी ताकतों के प्रचार का औजार बन गया है।

वक्ताओं ने यह भी कहा कि जनपक्षधर मीडिया तभी खड़ा हो सकता है जब आम जनता और मजदूर वर्ग अपने संघर्षों के माध्यम से अपनी आवाज खुद उठाए। सोशल मीडिया और नई तकनीक ने अब यह संभावना पैदा की है कि आम लोग सत्ता के खिलाफ अपनी बात सीधे जनता तक पहुंचा सकें।

सेमिनार की अध्यक्षता कुलदीप नाथ शुक्ल (भारत की सर्वहारा पार्टी), देवेन्द्र पाण्डेय (उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन निविदा संविदा कर्मचारी संघ), वंदना चौबे (प्रगतिशील लेखक संघ), डी.सी. मौर्य (इंकलाबी मजदूर केन्द्र) और रोहित (सम्पादक, नागरिक) ने संयुक्त रूप से की।

कार्यक्रम में विभिन्न संगठनों से गौरव सिंह (मजदूर पत्रिका), अजय आसुर (जनवादी किसान सभा), राधेश्याम (इफ्टू सर्वहारा), व्यास मुनि तिवारी (क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन), सरिता (प्रगतिशील महिला एकता केंद्र), परमानंद (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) सहित कई प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे।

बरेली से आए प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच के साथियों ने अपने क्रांतिकारी गीतों के माध्यम से कार्यक्रम को ऊर्जावान बना दिया।

सेमिनार में लगभग 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया और अंत में यह निष्कर्ष निकला कि अंधराष्ट्रवाद लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर कर रहा है, और मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह सत्ता का नहीं, समाज का सच बोले।

कार्यक्रम में गौरव सिंह, अजय आसुर, राधेश्याम, व्यास मुनि तिवारी, सरिता, परमानंद, रामजी सिंह, मोनिका, राम रतन, राम नरेश, मृदुलेश और बृजपाल समेत कई प्रतिभागियों ने विचार व्यक्त किए।
बरेली से आए प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच के लोगों ने क्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुति से कार्यक्रम में ऊर्जा भर दी।
इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, संस्कृतिकर्मी और पत्रकार मौजूद रहे।

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