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डिब्बाबंद खाने के सामने चेतावनी लेबल की मांग पर विचार करेगा स्वास्थ्य मंत्रालय

वाराणसी - मानवाधिकार जन निगरानी समिति के प्रयास के बाद, विधायक आशुतोष सिन्हा ने हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया को पत्र लिख चेतावनी वाला फ्रंट ऑफ पैक लैबलिंग लाने की मांग की थी। जिससे कि उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने के अधिकार मिल सके। 
                    
 अब डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा है कि मानवधिकार जन निगरानी समिति के सुझाव नोट कर लिए गए हैं, इस पर जल्द ही विचार किया जाएगा। मानवाधिकार जननिगरानी समिति के संयोजक डॉ लेनिन रघुवंशी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि कहा, “ चेतावनी लेवल वाला एफ ओ पी एल सबसे कारगर साबित हो सकता है, जो उपभोक्ता को स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद करता है, कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ में कितना चीनी, वसा एवं नमक की मात्रा है। जिससे गंभीर बीमारी खासकर गैर संचारी रोगों को रोकने में मदद मिल पाएगी। 
              नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के परिणामों का हवाला देते हुए उन्होंने आगे कहा कि भारत जल्द ही मधुमेह और बच्चों में मोटापे की वैश्विक राजधानी बनने वाला है, सरकार को बहुत जल्द पैकेट फूड पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार चेतावनी लेवल लाना चाहिए। मानवधिकार जन निगरानी समिति ने इस मसौदे को और मजबूत बनाने के लिए पत्र में सुझाव दिए हैं कि रेगुलेशन में फ्रंट ऑफ पैक न्यूट्रीशनल लैबलिंग(एफओपीएनएल) में स्पष्ट तौर पर वसा, चीनी एवं नमक की अधिकता को लेकर आसान तरीके से समझ में आने वाली चेतावनी जारी करें। साथ ही साथ खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनियों को 4 साल के बजाय 1 साल का समय दें ताकि वह जल्द से जल्द जनमानस के हक में काम कर सकें।

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