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मजदूरों को राहत पहुंचाने के मुद्दे पर भाकपा करेगी प्रदर्शन

22 मई को मजदूरों के संयुक्त प्रतिरोध का समर्थन करेगी भाकपा

लखनऊ- अनियोजित लाक डाउन के चलते मजदूरों को मौत के मुंह में धकेल दिये जाने, उन्हें घरों तक पहुंचाने में केन्द्र और राज्य सरकार की विफलताओं, श्रम क़ानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव, रोजगार और राशन उपलब्ध कराने में सरकारों की घनघोर असफलता, किसानों की फसल की बरवादी और बिकवाली में उसे राम भरोसे छोड़ देने, दलितों, अल्पसंख्यकों पर हो रहे उत्पीड़न और कानून- व्यवस्था में गिरावट, घोषित सरकारी योजनाओं की राहत राशि सभी को न देने, पेट्रोल डीजल की कीमतों में अत्यधिक बढ़ोत्तरी, केन्द्र सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज में देश और जनता के साथ की गयी धोखाधड़ी, सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने तथा कोरोना की विपत्ति के दौर में भी सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने आदि के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के केन्द्रीय आह्वान पर आज समूचे उत्तर प्रदेश में धरने एवं प्रदर्शन किये गये। 
यद्यपि एक सप्ताह पूर्व 11 मई को भी भाकपा ने वामदलों के साथ मिल कर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किये थे और केंद्रीय नेत्रत्व का आह्वान मात्र 4 दिन पूर्व हुआ था फिर भी आज भाकपा ने राज्य के अनेक जिलों में सफल प्रतिरोध प्रदर्शन किये और महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन स्थानीय अधिकारियों को सौंपे अथवा ई मेल के जरिये भेजे गये। कई जिलों में कई कई स्थानों पर प्रतिरोध प्रदर्शन हुये। 
राज्य मुख्यालय लखनऊ के अलाबा अभी तक सीतापुर, गाजियाबाद, नोएडा, कानपुर, अयोध्या, बाराबंकी, झांसी, मथुरा, गाजीपुर, जौनपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़, गोंडा, निजामाबाद (आजमगढ़ ), उरई, शामली, महाराजगंज, कानपुर देहात, इलाहाबाद, सोनभद्र, बांदा, बहराइच आदि जनपदों से प्रतिरोध दिवस के आयोजन की खबरें अब तक प्राप्त हो चुकी हैं। 
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने मजदूरों, किसानों और अवाम की आवाज उठाने के समस्त कार्यकर्ताओं को पार्टी की राज्य काउंसिल की ओर से बधाई दी है। साथ ही केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त तत्वावधान में 22 मई को आयोजित मजदूरों के प्रतिरोध प्रदर्शन को भाकपा की ओर से सक्रिय समर्थन प्रदान करने का आह्वान किया है। 
प्रस्तुत ज्ञापन में मांग की गयी है कि प्रवासी मजदूरों को घरों तक पहुंचाने के लिए और अधिक ट्रेन और बसें चलायी जायें जिनमें उन्हें खाना और पानी की सुविधा दी जाये। पहले से ही घरों को निकल पड़े मजदूरों को रोकने के बजाय उन्हें सम्मानपूर्वक वाहनों में बैठा कर घर पहुंचाया जाये। उन पर किसी भी तरह का अत्याचार ना किया जाये। सभी मजदूरों को 10 हजार रुपये बतौर खर्च/ यात्रा खर्च दिये जायें। अवसाद से आत्महत्याओं अथवा दुर्घटनाओं में होरही मौतौं पर रु॰ 20 लाख की मदद और घायलों को रु॰ 5 लाख दिये जायें। 
मनरेगा को कमजोर नहीं किया जाये। हर व्यक्ति को पूर्ण रोजगार देना सुनिश्चित किया जाये। मनरेगा के तहत काम के दिन बढ़ाए जायें और प्रत्येक परिवार के सभी वयस्क सदस्यों को काम और समय पर भुगतान दिया जाये। शहरी क्षेत्रों में रोजगार और आवास की गारंटी की जाये। राशन देने के लिये किसी भी तरह की शर्त ना रखी जाये। हर एक परिवार को हर माह 35 किलो खाद्यान्न निशुल्क देना सुनिश्चित किया जाये। 
श्रम कानून के साथ कोई छेड़छाड़ ना की जाये। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 3 सालों के लिये श्रम क़ानूनों को रद्द करने के फैसले को रद्द किया जाये। सभी संगठित और असंगठित, सरकारी और गैर सरकारी विभागों/ उद्योगों में संविदा अथवा गैर संविदा कर्मियों व अन्य के बकाया वेतनों का भुगतान सुनिश्चित किया जाये।  ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब और छोटे किसानों के मुद्दों का उचित निवारण किया जाये। मौसम और लाक डाउन की मार से प्रभावित किसानों के अनाज, फल, सब्जी और दूध को उचित कीमतों पर खरीदना सुनिश्चित किया जाये। किसानों को 12 हजार रुपये की तत्काल एकमुश्त सहायता दी जाये। 
बुजुर्गों, विधवाओं और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिये पेंशन और दूसरी सामाजिक सुरक्षायें सुनिश्चित की जायें और बढ़ाई जायें। कैंसर, टीवी, हार्ट, किडनी जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज की फौरन व्यवस्था की जाये। गर्भवती महिलाओं के लिये घरों पर कंसल्टेशन और प्रसूति की व्यवस्था की जाये। सभी की कोरोना जांच और इलाज मुफ्त कराये जायें। नोडल सेंटर, कोरोंटाइन केन्द्र, आइसोलेशन केन्द्र एवं अस्पतालों में अव्यवस्थाएं दूर कर ताजा और ससमय भोजन, पानी, दवाई और सफाई आदि की व्यवस्था की जाये। 
आर्थिक राहत पैकेज आसमान में ही लटक कर रह गया है। इसमें जरूरतमंदों के लिये कुछ नहीं है। लोगों को सीधे राहत दी जाये। आत्मनिर्भरता के नाम पर सार्वजनिक क्षेत्र को बेचना बंद किया जाये। लाक डाउन के अनुपालन के नाम पर लोगों की प्रताड़ना, पिटाई, जबरिया बसूली, चालान और जेल भेजना बन्द किया जाये। दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और अन्य कमजोर तबकों पर जुल्म बढ़ गये हैं। उनकी सुरक्षा की जाये। कानून व्यवस्था ठीक की जाये। 
विश्व बाज़ार में कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने पेट्रौल डीजल के दामों में भारी व्रद्धि कर दी है जिससे महंगाई और मंदी बढ़ेगी। उन्हें फौरन वापस लिया जाये।
कोरोना की महाविपत्ति के दौर में भी केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार न केवल राजनीति कर रही हैं, अपितु सांप्रदायिक विद्वेष भी फैला रही हैं। इससे कोरोना के खिलाफ जंग कमजोर होरही है। इन पर फौरन लगाम लगायी जाये।

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