Nishan Publication

सभी को मिले गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार- सुरबाला

समता सद्भावना संवाद यात्रा ने दी 105 गांवों तक दस्तक

मूलभूत समस्याओं को खुलकर सामने रख रहे लोग 

सीतापुर- देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन कई तबके अब भी विकास और समाज की मुख्यधारा में आने की बाट जोह रहे हैं| दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में किसानों और मजदूरों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है| किसान अपनी फसलों का उचित मूल्य नहीं पा रहा है, वहीँ मनरेगा में मजदूरों की करोड़ों रुपयों की मजदूरी बकाया पड़ी है| ऐसे में रोज़मर्रा के संघर्षों से जूझता मजदूर-किसान समाज की मुख्यधारा से पिछड़ता जा रहा है| 


सभा में लोगों को संबोधित करतीं सुरबाला


     ये बात संगतिन किसान मजदूर संगठन की नेत्री सुरबाला ने समता सद्भावना संवाद यात्रा में लोगों को संबोधित करते हुए कहीं| उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों से प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति पैदा हो गयी है जिससे निपटना स्थानीय स्तर के लोगों के बस में नहीं है| अतः सरकार तत्काल इन समस्याओं का आमजन के हितार्थ समाधान सुनिश्चित करे| साथ ही सभी को गरिमापूर्ण तरीके से जीवन जीने के अधिकार का भी पालन होना चाहिए।

     संगतिन की रामबेटी ने कहा कि समता सद्भावना संवाद यात्रा ने अब तक 105 गाँवों तक दस्तक दी है| इन गांवों में भ्रमण के दौरान युवाओं में नशाखोरी और बेरोज़गारी की समस्या प्रमुखता से उभर कर सामने आई है| गांवों में सुगमता से कच्ची शराब उपलब्ध हो जा रही है जिससे युवा पीढ़ी स्वयं तो बर्बाद हो रही है उसकी आने वाली नस्लों पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा|

उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसल की बिक्री को लेकर लगातार ठगा जा रहा है| यदि वो अपने खेत पर फसल बेचे तो अलग दाम, और बेल पर फसल बेचे तो अलग दाम तथा सीधे मिल में बेचे तो अलग दाम मिलता है| ये तिहरे दाम की व्यवस्था किसान को बर्बाद कर रही है| किसी कम्पनी का प्रोडक्ट मॉल में जितने का बिकता है, उतने का ही वो गाँव में भी बिकता है| जब कम्पनी के उत्पाद समान भाव पर सब जगह मिल रहे हैं तो किसान की फसल भी समान भाव पर हर जगह बिकनी चाहिए| इसके लिए हम सबको एकजुट होकर संघर्ष करना पड़ेगा और संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए अपने अधिकारों को हासिल करना होगा|




ओम प्रकाश ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए नहीं बल्कि समाज में समानता लाने के लिए लड़ना है| जब तक समतामूलक समाज नहीं बनेगा तब तक हमारा उद्धार संभव नहीं है| यदि दर्द हमको है तो दवा भी हमको ही करनी पड़ेगी| कोई और हमारी समस्या सुलझाने नहीं आयेगा, हमें ही अपनी समस्याओं के लिए संघर्ष करना पड़ेगा|






समता सद्भावना संवाद यात्रा प्रथम चरण में 115 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी है वहीँ दूसरे चरण के छठे दिन यात्रियों ने 7 गांवों में 16 किलोमीटर की दूरी तय की| यात्रा में रामबेटी, सुरबाला वैश्य, रामश्री, जमुना, राजाराम, प्रकाश, शिवराज, रोहित, मोहन लाल, भगवानदीन, सुशीला, सुरेंद्र, अमित राजभर, अशोक, राजाराम, राजाराम अर्थापुर, चंद्रकुमार, प्रिया, प्रियंका, रंजना सहित बड़ी तादाद में लोग साथ चल रहे हैं| 



समता सद्भावना संवाद यात्रा दूसरे चरण में अब तक 90 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी है| विभिन गाँवों से होते हुए यात्रियों ने रेवाना गाँव में रात्रि विश्राम किया| जहाँ से यात्रा जोगियाखेड़ा, टीकर टिकरा होते हुए एलिया ब्लाक के विभिन्न गाँवों में भ्रमण करेगी|

रिपोर्ट- अलमास अंसारी

 

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