लखनऊ- उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी, भाकपा- माले एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक ने कानपुर में लैब असिस्टेंट के अपहरण और उसके परिवार से 30 लाख रुपये बसूलने के बावजूद उसकी हत्या पर गहरा आक्रोश एवं दुख व्यक्त किया है।वामपंथी दलों ने कहा कि अभी गाजियाबाद में पत्रकार की हत्या की स्याह खबर की स्याही सूखी भी न थी कि एक और जघन्य कांड हो गया। एक गरीब परिवार द्वारा किसी तरह फिरौती की बड़ी धनराशि अदा करने के बाद भी अपह्रत संजीत यादव की हत्या कर दी गयी। एक दो नहीं पूरे 35 दिनों में पुलिस अपह्रत को बचा नहीं सकी। अपहरण होने पर यदि पुलिस नाकाम रहती थी तो लोग फिरौती देकर अपनों को बचा लेते थे, लेकिन भाजपा के इस कथित रामराज्य में तो फिरौती की लंबी रकम देने के बाद भी जान- माल सुरक्षित नहीं है। निशान पब्लिकेशन से बात करते हुए वामदलों ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के तमाम खोखले दाबों और मनमानी बहशियाना कार्यवाहियों के बावजूद उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था अस्त- व्यस्त- ध्वस्त हो गयी है। हर दिन, हर पल एक से एक घिनौने और जघन्य अपराध हो रहे हैं और 6 हजार से अधिक एंकाउंटर्स के बाद भी अपराधों में रत्ती भर कमी नहीं आयी। समस्या की जड़ कहीं और है और योगी सरकार गोलियां कहीं और दाग रही है।वामदलों ने कहा कि अनेक समस्याओं के बोझ तले दब कर उत्तर प्रदेश की बहुमत जनता कराह उठी है। राज्य सरकार उनमें से किसी का भी निदान करने में विफल हो चुकी है। संपूर्णतः असफल सरकार शासन करने का नैतिक अधिकार खो बैठी है। वामदलों ने मांग की कि संजीत यादव के सभी हत्यारों को एनएसए/ गैंगस्टर एक्ट में निरुध्द किया जाये, उसके परिवार को फिरौती वाले रुपये 30 लाख वापस कराये जायें, सरकार की विफलता के एवज में उसे 50 लाख दिये जायें तथा कानपुर के सारे पुलिस प्रशासन का ओवरहाल किया जाये।
कानपुर की घटना पर वामदलों ने जताया दुख और आक्रोश, परिवार को फिरौती की वापसी और सहयोग राशि देने मांग की
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