जिले के संक्रमण मुक्त होने अथवा वैक्सीनेशन के बाद ही खोले जायें स्कूल
ग्रामीण क्षेत्रों और गरीब आबादियों में शिक्षा के वैकल्पिक उपाय करे सरकार: भाकपा
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि यदि उसकी आगामी जुलाई से स्कूल खोलने की कोई योजना है तो उस पर पुनर्विचार करे। मानव संसाधन मंत्रालय और राज्य सरकार द्वारा अनलाक-2 में स्कूल खोले जाने की योजना के मद्देनजर भाकपा ने यह मांग की है। भाकपा ने कहा कि अभी तो देश और प्रदेश में कोविड- 19 के संक्रमितों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। बयस्क ही नहीं बड़े पैमाने पर बच्चे भी संक्रमित होरहे हैं। ऐसे में अभिभावकों का विशाल हिस्सा बच्चों को स्कूल भेजने के इच्छुक नहीं है। अधिकांश अभिभावक इस बात को अच्छी तरह समझ रहे हैं कि स्कूलों में दैहिक दूरी बनाये रखने और कोविड प्रतिरक्षा संबंधी अन्य उपाय करना आसान नहीं है। बहुत से बच्चे तो खुद ही दैहिक दूरी के नियम को तोड़ेंगे। अतएव अभिभावक आन लाइन कक्षाओं को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों और शहरों की गरीब आबादियों में जहां आन लाइन की व्यवस्थाएं नहीं हैं, भाकपा चाहती है कि वहां शिक्षा के अन्य उपाय किए जायें। अधिकतर लोगों का मत है कि जब तक जिलों में एक भी कोविड केस मिल रहा है तब तक स्कूलों का खोला जाना रिस्की होगा। अथवा वे तब खोले जायें जब कोविड-19 का टीका ईजाद होजाये और हर किसी का वैक्सीनेशन होजाये। अभी तो उत्तर प्रदेश के समस्त 75 जिलों में संक्रमण व्याप्त है। यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि जिन देशों में विद्यालय खोले गये,तमाम सावधानियों के बावजूद वहां अनेक बच्चे संक्रमित होगये। स्कूल खोलने का निर्णय लेने से पहले सरकार को सारे पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना होगा।