Nishan Publication

सरकार की अकर्मण्यता के खिलाफ देशव्यापी प्रतिरोध दिवस आयोजित करेगी भाकपा

-लोगों को असहाय और निराशा की स्थिति में बरबाद होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता
 
लखनऊ- अनियोजित लाक डाउन के कारण मजदूरों को मौत के मुंह में  धकेलने, उन्हें घरों तक पहुंचाने में केन्द्र और राज्य सरकारों की असफलता, श्रम क़ानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव, रोजगार और राशन उपलब्ध कराने में सरकारों की असफलता, किसानों की फसल की बरवादी और विकवाली में उसे राम भरोसे छोड़ देने, घोषित सरकारी योजनाओं की मदें सभी तक नहीं पहुँचने, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी तथा आर्थिक पैकेज में आम जनता के साथ धोखाधड़ी आदि के विरोध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 19 मई को देश भर में प्रतिरोध दिवस का आयोजन करेगी। 
इस दिन जहां लाक डाउन की बन्दिशें नहीं हैं वहां श्रम कार्यालयों, जिलाधिकारी अथवा तहसील कार्यालयों पर पहुंच कर प्रतिरोध दर्ज कराया जायेगा और ज्ञापन दिये जायेंगे। जहां लाक डाउन प्रभावी होगा वहां पार्टी कार्यालयों अथवा आवासों पर पार्टी कार्यकर्ता धरने, भूख हड़ताल आदि आयोजित करेंगे। सभी काली पट्टियाँ बांधेंगे, पार्टी के झंडे- बैनरों- पट्टिकाओं  के अतिरिक्त काले झंडे लगायेंगे तथा महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन भेजे अथवा सौंपे जायेंगे। 

सभी को दैहिक दूरी का पालन करना है और मुछीका लगाये रहना है। 

उपर्युक्त के संबंध में भाकपा के राज्य सचिव एवं पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डा॰ गिरीश ने कहाकि मेहनतकश तबकों और वाम- लोकतान्त्रिक शक्तियों के आंदोलन के दबाव में यूपी में काम के घंटे पुनः आठ कराने और मजदूरों को घर तक पहुंचाने को कदम उठाने को सरकारों को बाध्य करने में हम कामयाब रहे हैं, लेकिन अभी भी सरकार द्वारा थोपी गयी आफतों के पहाड़ से हमें जूझना है। इसीलिए 11 मई को वामपंथी दलों द्वारा उत्तर प्रदेश में तथा भाकपा द्वारा अन्य कई राज्यों में किये गए आंदोलन के बाद अब भाकपा ने पूरे देश में आंदोलन का बिगुल फूंका है। 
भाकपा ने आरोप लगाया कि केन्द्र और राज्य सरकारों की अकर्मण्यता और उपेक्षा के चलते देश भर में लाखों लाख मजदूर काम- धंधा छिन जाने से दाने दाने को मुंहताज होगए हैं। उनके पास खाने को नहीं है। अपने घर पहुँचने के लिये पैसे नहीं हैं। अपनी और अपने परिवार की गुजर बसर करना उन्हें मुश्किल होरहा है। इस सबके बावजूद सरकार उनकी बदहाली को नजरंदाज कर रही है। तरह तरह की पाबन्दियाँ उन पर थोपी जा रही हैं जिनके चलते लगभग 400 लोग दुर्घटनाओ आदि में मारे जा चुके हैं। 

प्रधानमंत्री की ओर से की गयी 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा और वित्त मंत्री द्वारा इसके खर्च का दिया गया धारावाहिक विवरण राजनीतिक लफ्फाजी के सिवा कुछ नहीं है। उनके पास कोरोना से पैदा हुये संकट से निपटने के लिये कोई ठोस योजना नहीं है। मोदी सरकार की नव- उदारवादी नीतियों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था बीमार पड़ गयी है और वह डूब रही है। कोरोना के संकट ने इसे और बढ़ा दिया है। पूंजीवादी और कार्पोरेटपरस्त सरकार का नेत्रत्व बिगड़ी अर्थव्यवस्था का भार मेहनतकशों और आम जनता के कंधों पर लाद देना चाहता है। श्रम क़ानूनों, वेतन और भत्तों में कटौती आदि सरकार की इसी मंशा के सबूत हैं। 

ऐसे हालातों में लोगों को असहायता और निराशा के हालातों में नहीं छोड़ा जा सकता। इसीलिए भाकपा ने 19 मई को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का फैसला लिया है। पार्टी समर्थकों और सभी जनभक्त लोगों से भी अपने अपने तरीकों से इस आंदोलन में भागीदारी की अपील की है। 

भाकपा के राज्य सह सचिव का॰ अरविन्दराज स्वरूप एवं का॰ इम्तियाज़ अहमद ने भाकपा के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपील की है कि आम जनता की आवाज बुलंद करने को मुस्तैदी से जुट जायें। 


Post a Comment

Previous Post Next Post