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ट्रेड यूनियनों के संयुक्त प्रतिरोध अभियान को उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों का समर्थन

लखनऊ-   उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने सरकारों के मजदूर विरोधी रवैये के खिलाफ केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा 22 मई को आयोजित किये जा रहे प्रतिरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है।
कोरोना वायरस के कारण अनेकों तरह की मुश्किलें झेल रही जनता के ऊपर केंद्र की भाजपा सरकार  लगातार हमले कर रही है। लाक डाउन के दौरान सरकार द्वारा मजदूरों और किसानों के हितों के विरुध्द लगातार  कड़वे फैसले लिए जा रहे हैं । उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार मजदूरों और किसानों पर हमला करने में सबसे आगे है। उसने 3 साल के लिए श्रम कानूनों को निरस्त करने मजदूरों को मालिकों  का गुलाम बनाने तथा मंडी कानूनों में संशोधन करके किसानों को बड़ी कंपनियों के हवाले करने का काम किया है।
घरों से दूर प्रवासी मजदूर अनेक अमानवीय यातनाएं  झेल रहे हैं ।मजदूरों की नौकरियां चली गई, उन्हें वेतन नहीं मिले तथा उन्हें आवासों से बेदखल किया गया है। भूख से पैदल चलते हुए वे रास्ते में जान गंवा रहे हैं, पुलिस- प्रशासन की यातनायें झेल रहे हैं और सरकारें उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचाने तक में असफल रही हैं। सरकार की नाकामी के चलते अभूतपूर्व त्रासदी झेल रहे सैकड़ों मजदूरों की जानें जा चुकी हैं।
मजदूरों के केंद्रीय संगठनों द्वारा 22 मई को मेहनतकश जनता पर किए जा रहे लगातार हमलों का देशव्यापी विरोध करने का निर्णय लिया गया है। वामपंथी दलों ने ट्रेड यूनियनों के विरोध दिवस का पूर्ण समर्थन करते हुए इसे सफल बनाने के लिए अपनी अपनी इकाइयों का आवाहन किया है। 
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी, भाकपा- माले एवं फॉरवर्ड ब्लाक की राज्य समितियों ने अपनी जिला इकाइयों से अपील की है कि वे लाक डाउन के नियमों का ध्यान रखते हुए जहां जैसे भी संभव हो सरकार के घोर किसान- मजदूर तथा आम जनता विरोधी रवैइये के विरोध में आयोजित कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए काम करें । 

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