-शुक्रवार को भी हड़ताल पर रहे बैंक कर्मचारी, नकदी की कमी से परेशान हुए नागरिक
सीतापुर। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में देशव्यापी दो दिवसीय सांकेतिक हड़ताल के के तहत यूएफबीयू के झण्डे तले शुक्रवार को भी बैंककर्मी हड़ताल पर रहे। सभी बैंक कार्यालय और शाखाएं बन्द रहीं। इण्डियन बैंक के सीतापुर मण्डलीय कार्यालय के मुख्य द्वार पर जोरदार नारेबाजी और प्रदर्शन किया। बैंकों की दो दिनी हड़ताल से जहाँ बैंकिंग व्यवस्थाएं ध्वस्त नज़र आयीं वहीँ आम नागरिक नकदी के लिए परेशान रहे| ज़्यादातर एटीएम भी इस दौरान खाली नज़र आये| लोगों को एटीएम में नकदी की कमी से दो-चार होना पड़ा|
सभा को यूएफबीयू के सीतापुर जनपद के संयोजक कमलेश कुमार पांडेय ने सम्बोधित करते हुए कहा कि बैंकों के निजीकरण से छोटे किसानों, खुदरा व्यापारियों, स्टार्ट अप उद्यमियों, तथा ठेला रेहड़ी दुकानदारों के विस्तृत असंगठित क्षेत्र को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। 1969 में 14 बड़े निजी बैंकों का सरकारीकरण इसी बड़े असंगठित क्षेत्र के सहज सरल वित्तपोषण के लिए किया गया था। सरकारी बैंकों ने राष्ट्रीयकरण के उन तमाम पुनीत उद्येश्यों में अपना भरपूर योगदान दिया। आज भी शून्य धनराशि से जनधन खाते खोलकर चेकबुक और एटीएम की सुविधा दे रहे हैं। स्टैंडअप योजना के तहत दस लाख के ऋण बिना अमानत जमानत के दे रहे हैं। अभी कोविड काल में सरकारी बैंकों ने सभी पटरी रेहड़ी व्यापारियों को पीएम स्वनिधि योजना में केवल आधार की पहिचान पर दस-दस हजार के ऋण बिना अमानत जमानत के दिये। सार्वजनिक दायित्व निर्वहन के दबाव में निश्चय ही हमारी लाभप्रदता दुष्प्रभावित होती है और हमको घाटे वाला संस्थान बताकर औने-पौने बेचने की साजिश चल रही है। हम इसका अन्त समय तक विरोध करेंगे। इण्डियन बैंक ऑफिसर ऐसोसिएशन के अंजनी के साथ मोहम्मद नवेद अंसारी, संजय शुक्ल, अनुभव मौर्य, लेखराज सिंह, आशुतोष मौर्य, रजनीश शुक्ल, संजय शुक्ल, अभिषेक कुमार पाल, जितेन्द्र मौर्य, संजय कुमार, अनुज, अतुल सक्सेना, सत्य प्रकाश मिश्र, विनय अवस्थी, रंजीत कुमार दास, अनूप कुमार आदि मौजूद रहे।