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अंजुमन आशिकाने रसूल ने नातिया मुशायरे का किया आयोजन

सीतापुर- ख़ैराबाद यहां अंजुमन आशिकाने रसूल की ओर से एक अज़ीम -उश -शान नातिया मुशायरा डॉ रिज़वान अंसारी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ । अंजुमन आशिकाने रसूल के अध्यक्ष नसीम खान  एवं मुख्य अतिथि  शकील गयावी की उपस्थिति में संपन्न होने वाले इस नातिया मुशायरे में सभी शायरों ने बहुत अच्छे अंदाज में अपना कलाम पेश किया। मुख्य रूप से पसंद किए जाने वाले अशआर  पाठकों की सेवा में प्रस्तुत हैं-
नूर ए खुदा है आप रौनके  बज़्मे में जहां हैं आप।
कुदरत की मस्लाहत के फ़कत राज़दां है आप ।।
        ( डॉ रिज़वान अंसारी)
आपको जिसने देखा वही कह उठा ।
ख़ुश जमाल आप हैं ख़ुश अदा आप हैं ।।
        ( साजिद ख़ैराबादी)
ऐ काश मुझे मौत मदीने में ही आए ।
सुनते हैं कि उस ख़ाक में आराम बहुत है ।।
        (शकील गयावी)
बाईसे इज़्ज़त - ओ‌ - अज़मत है नबी की मिदहत
कामयाबी की ज़मानत है  नबी की मिदहत
           ( फ़हीम बिस्मिल )
मुजीबे हज़ीं पर करम है उन्हीं का ।
तसव्वुर में जो सुबह - ओ - शाम आ रहे है ।।
           (मुजीब सीतापुरी)
ज़मीं पर आसमा से नूर का इंसान आया है।
के जिसकी शान में अल्लाह का कुर आन आया हैं।
     ( क़ारी अली अहमद)
उस ज़ात की तौसीफ़ तो मुमकिन ही नहीं है ।
जिस ज़ात पे अल्लाह ने कुर आन उतारा ।
     (सलीम ताबिश )
खबर मिली है कि सरकार आने वाले हैं।
हम अपने दिल को मदीना बनाने वाले हैं।
     ( इक़बाल अकरम वारसी)
कासिर हूँ मैं बयां से क्या क्या नबी का है ।
ये सारी कायनात ही सदक़ा
 नबी का है ।।
        (इशरत तालगांवीं) 
देखा था न देखा है न‌ देखेंगा जहां ।
अल्लाह के महबूब के पैकर की तरह ।।
  ( अब्दुल क़वी सुलतानपुरी)
शिकम पे बांध के पत्थर वह जंग करते रहे ।
किसी ने क्या कोई ऐसा कामांडर देखा।।
      ( मजाज़ सुलतानपुरी)
जिसपर ब हुक्मे रब हुआ कुर‌ आन का नूज़ूल ।
मेआरे हक वहीं था जहां में वही है आज।।
   (महबूब ख़ैराबादी)
मदीने का सफर है और मैं हूं ।
ख्यालों में वो‌ दर है और मैं हूं।।
          ( गुलशन खैराबादी)
मुशायरे ‌में सिराज अली सिराज मोहमदवी, डॉ फ़ैज़ान रज़ा, अब्दुल कादिर शाहजहांपुरी
रईस रहमानी, अफ़ज़ल युसुफ खैराबादी, अख्तर मुजीबी हाफ़िज़ ज़ैद तालग़ावीं ने भी बारगाहे रिसालत में नज़राना पेश किया।  मुशायरे में जो गण मान्य व्यक्ति उपस्थित रहे उनके नाम इस प्रकार हैं सैय्यद हसीब  मियां, लारैब अल्वी, रउफ़ बाबा, मोहम्मद शब्बीर, बाबू जी, मोहम्मद अज़ीम सफ़वी, मोहम्मद ज़ूनी मोहम्मद कैफ़, मोहम्मद फ़हीम इत्यादि, मुशायरे के कन्वीनर साजिद खैराबादी एवं सहायक कन्वीनर हस्सान इब्ने शाकिर खैराबादी ने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।

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