लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने केन्द्र सरकार से कहा कि वह छात्रों और राज्यों पर अपना तुगलकी एजेंडा थोपने से बाज आये और कोविड-19 के इस दौर में उनके ऊपर NEET एवं JEE न थोपे।
निशान पब्लिकेशन न्यूज़ से भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि आज भारत में कोविड संक्रमित मरीजों की प्रतिदिन संख्या विश्व में सबसे ज्यादा है। जब भारत में मुट्ठी भर मरीज थे तब सरकार ने सारे देश को तालाबन्दी में धकेल दिया था और अब जब यह संख्या बढ़ कर हालातों को भयावह बना रही है तब सरकार NEETऔर JEE का आयोजन करा रही है।सरकार अनलाक के दौर में भी केवल अपनी पूंजीपति- माफिया लाबी के हितों में काम कर रही है और आम जनता के हितों को कुचल रही है। वह शराब के ठेकों की तरह उन सभी चीजों में छूट दे रही है जो जनता के हितों पर चोट पहुंचा रहे हैं।
विद्यालयों में प्राचार्यों और आचार्यों की तमाम जगहें खाली पड़ीं हैं। अन्य विभागों में भी तमाम रिक्तियाँ हैं। पर सरकार उनकी भर्ती परीक्षाओं को टाल रही है। रोजगार देने के वायदों और दावों से मुकर रही है। जहां तक कोविड काल में भर्ती परीक्षाओं में व्यवस्थाओं का सवाल है, हम इसे यूपी में बी॰एड॰ प्रवेश परीक्षाओं के दौरान देख चुके हैं, जब इन परीक्षा केन्द्रों को अव्यवस्थाओं ने जकड़ लिया था और ट्रांसपोर्टेशन की अव्यवस्थाओं के चलते कई अभ्यर्थियों की मार्ग दुर्घटनाओं में मौत हो गयी थी। कोविड- प्रकोप के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के एक बड़े भाग में बाढ़ आयी हुयी है, पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन अभी 30 प्रतिशत भी चलायमान नहीं है, होटलों और धर्मशालाओं पर ताले लटके हुये हैं, गरीब और मध्यवर्गीय अभ्यर्थी न तो निजी तौर पर आवागमन का खर्च वहन कर सकते हैं न ठहरने का। जबकि एक परीक्षा केन्द्र तक पहुँचने के लिये उन्हें 250 से 500 किमी की दूरी तय करनी पड़ेगी। इन तबकों से जुड़े छात्र तालाबन्दी में कोचिंग लेना तो दूर किताबें तक नहीं खरीद सके हैं। वैसे भी शिक्षा समवर्ती सूची में आती है, अतएव केन्द्र सरकार राज्य सरकारों पर JEE और NEET थोप नहीं सकती। छात्रहित में कई राज्य सरकारें इसका विरोध कर रही हैं और वे सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँच रही हैं। केन्द्र को अपने अधिकारों को राज्यों पर थोपने से बाज आना चाहिये। भाकपा केन्द्र की माइकले युग में ले जाने वाली शिक्षा नीति का विरोध करती है। भाकपा राज्य सचिव मंडल ने निर्णय किया कि NEETएवं JEE आयोजित करने के छात्र विरोधी- गरीब विरोधी निर्णय का हर संगठन द्वारा हर स्तर पर विरोध किया जायेगा। भाकपा की राय है कि इन प्रवेश परीक्षाओ को कुछ महीने टाला जा सकता है और शैक्षणिक सत्र को छोटा कर 6 माहों में समेटा जा सकता है, और प्रतिदिन 5- 6 घंटे पढ़ाई करा कोर्स पूरा किया जा सकता है।