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सरकार औरों की सुनती नहीं, खुद कुछ करती नहीं: भाकपा



-औरैया और सागर में सड़क हादसों में मजदूरों की मौत पर भाकपा ने गहरा दुख जताया

-कहा- मजदूरों को रोको मत, घरों तक पहुंचाओ, मौतों की जिम्मेदारी लो

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के सचिव मण्डल ने आज औरैया में 24 मजदूरों और मध्य प्रदेश के सागर में उत्तर प्रदेश के ही 6 मजदूरों की सड़क दुर्घटनाओं में म्रत्यु पर गहरी पीड़ा जतायी है। पार्टी ने दोनों दुर्घटनाओं में दर्जनों घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। 
यहां जारी एक प्रेस बयान में पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि मजदूर वर्ग के प्रति देश प्रदेश की सरकारों ने असहनीय असहिष्णुता का प्रदर्शन किया है। अनियोजित लाक डाउन की यातनाओं ने उन्हें घर लौटने को मजबूर किया। जब राजसत्ता और व्यवस्था उन्हें घर लौटने के साधन सुलभ न करा सकी तो वे जान- जोखिम में डाल कर सड़कों पर निकल पड़े। 
आज फिर 24+ 6 मौतों ने हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर दिया है। पर केन्द्र सरकार दुख व्यक्त करने के ट्वीट तक और राज्य सरकार ‘कड़े निर्देश दे दिये गए हैं’ के बयान तक सीमित होकर रह गयी हैं। जितने लोग देश- प्रदेश में कोरोना से म्रत हुये हैं उससे कहीं ज्यादा रास्तों में दम तोड़ चुके हैं। सरकारों के सिवा इसके लिये कौन जिम्मेदार है? 
लोग घरों को निकल पड़े हैं, निकल रहे हैं और आगे भी निकलेंगे। अब इस प्रवाह को रोक पाना असंभव है। रोकने के प्रयास आत्मघाती ही साबित होंगे। अब यही संभव है कि केन्द्र और राज्य सरकारें मिल कर ब्रहद योजना बनायें। जो जहां है, जिस प्रांत में है, जिस स्थान पर है, उसे वहां से वाहनों में बैठा कर रेलवे स्टेशनों और मुख्य बस अड्डों पर लाया जाये और वहाँ से भोजन पानी के साथ उन्हें सकुशल घरों तक पहुंचाया जाये। 
भाकपा ने सरकार को एक के बाद एक सुझाव दिये, जिन्हें यदि लागू किया गया होता तो जान माल की इस भयावह बरवादी से बचा जा सकता था। पर सरकार औरों की सुनती नहीं और खुद कुछ करती नहीं। असफल हो चुकी सरकार नैतिक ज़िम्मेदारी लेने तक को तैयार नहीं। यह स्थिति अधिक समय तक चली तो देश प्रदेश के जनजीवन के लिये घातक होगी। 
भाकपा दुर्घटनाओं, भूख, प्यास से राहों में म्रतकों के परिवारों को रु॰ 20 लाख की आर्थिक मदद और सभी घायलों को रु॰ 5 लाख दिये जाने की मांग करती है।

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